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Showing posts from July, 2017

Leukorrhea(श्वेत प्रदर या सफेद पानी)--औरतों की खूबसूरती का दुश्मन

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Leukorrhea(श्वेत प्रदर या सफेद पानी)--औरतों की खूबसूरती का दुश्मन Leukorrhea  औरतों का एक आम और जिद्दी रोग है। इस रोग में औरतों की जोनी मार्ग से एक चिपचिपा रिसाव होता है। जिसका रंग अक्सर सफेद होता है ,रोग पुराना होने से इस रिसाव से बदबू भी आने लगती है । Leukorrhea से पीड़ित औरतें जल्दी ही अपनी खूबसूरती खो देती है। लगातार रिसाव होने के कारण औरतें शरीरिक तौर पर कमजोर हो जाती है। ✔औरतों की जोनी समस्याएं ज्यादातर Leukorrhea की वजह से ही होती है । 1. उम्र से पहले चेहरे पर झुर्रियों का पड़ जाना। 2. चेहरे पर काले धब्बे पड़ जाना। 3. हाथों पैरों में दर्द। 4. सर दर्द। 5. कमर दर्द। 6. शरीर का कमजोर पड़ जाना। ✔Leukorrhea को ठीक करने के कुछ आसान उपाय । 👉रोजाना एक केला खाने से श्वेत प्रदर से मुक्‍ती मिल सकती है। इसमें एंटी इंफेक्‍टिव गुण होते हैं जो कि घातक बैक्‍टीरिया को योनि के अंदर फैलने से रोकते हैं। 👉एक कटोरे में पानी के साथ थोड़ी सी सूखी अंजीर भिगो लें। फिर सुबह इसे हल्‍के गुनगुने पानी के साथ पीस कर खाली पेट पी लें। यह घातक बैक्‍टीरिया का नाश कर के आपको श्वेत प्रदर से मुक्‍ती दि

काम शक्ति के लिए बेजोड़ योग - नाम ही काफी है -कामदेव चूर्ण

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#कामदेव चूर्ण -- नाम ही काफी है काम शक्ति के लिए बेजोड़ योग । 👉सामग्री गोखरू ,पान की जड़ ,शतावर, विदारीकंद 40- 40 ग्राम कौंच के बीज ,उटंगन के बीच ,खरैटी के बीज ,अश्वगंधा 120-120 ग्राम छोटी इलायची ,तेजपत्ता, पिपली, आमला, केसर, लाल चंदन, बालछड़, नागकेसर ,लौंग, गिलोय, तवासीर असली ,चातरजात (दालचीनी तेजपत्र नागकेसर छोटी इलायची) 5 - 5gm 👉कामदेव चूर्ण बनाने की विधि :-- इन सभी चीजों को लेकर पाउडर कर ले , सिंबल का काढ़ा बनाकर 21 भावना दो। फिर इसी तरह से कुशा के रस की 21 भावना दो ।(भावना का मतलब होता है जिस जड़ी बूटी की भावना देनी होती उसका रस निकाल कर यहां काढ़ा बनाकर दवाई को उस में भिगोकर रख तो जब वह सूख जाए तब एक भावना हो जाएगी) जब यह पाउडर बिल्कुल सूख जाए ,तब इसके वजन जितनी मिश्री डालकर अच्छे से मिक्स कर लो ,फिर किसी कांच के बर्तन में डाल कर रख लो। 👉कामदेव चूर्ण के फायदे:-- यह चूर्ण शीतल, पौष्टिक और कामोत्तेजित हैं । यह चूर्ण उन लोगों के लिए अमृत सम्मान काम करता है जिन लोगों ने बचपन में अपनी बुरी आदतों के कारण अपने वीर्य कान नाश कर लिया हो । ऐसे लोगों के लिए यह एक वरदान के समान है।

Azoospermia and Less Sperm Count (वीर्य में शुक्राणुओं का ना होना और शुक्राणु कम होना)

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Azoospermia and Less Sperm Count (वीर्य में शुक्राणुओं का ना होना और शुक्राणु कम होना)   गर्भधारण कि प्रक्रिया मे पुरुष और स्त्री के सम्भोग के उपरान्त पुरुष द्वारा स्त्री कि योनि के माध्यम से गर्भाशय मे शुक्राणुओ को डालना है। शुक्राणु और अंडे के मिलन से गर्व की स्थापना होती है शुक्राणुओं की कमी होने से संभोग समर्था में कोई कमी नहीं आती समस्या संतान प्राप्ति में होती है शुक्राणु कम होने के कारण :- 1. छोटी उम्र में वीर्य का दुरुप्रयोग करना 2. पाचन किरिया ठीक ना होना 3. किसी भी प्रकार के नशे का लगातार सेवन करना 4. जरुरत से ज्यादा कसरत करना 5. लंबे समय तक स्टीरॉयड और प्रोटीन पाउडर इत्यादि का सेवन करना 6. तेज मिर्च मसाले का सेवन करते रहना शुक्राणुओं की समस्या में बहुत बार ऐसा भी देखा जाता है कि वीर्य में शुक्राणु बिल्कुल भी नहीं होते है जिससे azoospermia कहते हैं अक्सर लोगों के मन में धारणाएं हैं कि azoospermia   की कोई चिकित्सा नहीं है । azoospermia और शुक्राणुओं की कमी हो ना कोई छोटी समस्या नहीं है इसलिए इसकी चिकित्सा किसी अच्छे आयुर्वेदिक डॉक्टर से ही करवानी चाहिए।  हमारे

आँख आना (Conjunctivitis)

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आँख आना (Conjunctivitis) Conjunctivitis आमतौर पर गुलाबी आँख के नाम से जाना जाता है, जो आँख के सफ़ेद भाग में एक पतले और पारदर्शी पर्त जिसे Conjuctiva कहते है, में जलन के कारण होता है. यह अधिकतर bactirial या viral infection या allergic reaction का परिणाम होता है. यह आँखों में pollen, dust या धुंए के कारण हो सकता है. यह एक आम eye infection है जो बच्चो या बड़ों को समान रूप से प्रभावित करता है. कंजंक्टिवाइटिस को आम बोलचाल की भाषा में ‘आँख आना’ कहा जाता है। इसकी वजह से आँखें लाल, सूजन युक्त, चिपचिपी होने के साथ-साथ उसमें तेज चुभन भी होती है। 👉शहद : नमक को शहद के साथ मिलाकर सुबह शाम आंखोँ मेँ लगाने से आपको आँखों की समस्याओं से छुटकारा मिलेगा। 👉जायफल : जायफल को पीसकर दूध मेँ मिलाकर आंखोँ मेँ लगाने से, आपको आंखोँ से संबंधित सभी बिमारियों से तुरंत राहत मिलता है। 👉हल्दी : हल्दी को पानी में उबालकर छान लें, फिर इसे आंखों में बार-बार बूंदों की तरह डालने से आंखों का दर्द कम होता है। इससे आंखों में कीचड़ आना और आंखों का लाल होना आदि रोग समाप्त हो जाते हैं। इसके लिए आप कपड़ें को हल्दी

नकाब

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मुश्किल वक़्त दुनिया का सबसे बड़ा जादूगर है, जो पल में ही आपके चाहने वालों के चेहरे से नकाब हटा देता है ।

सुप्रभात

“दर्पण” जब चेहरे का “दाग” दिखाता है, तब हम “दर्पण” नहीं तोड़ते, बल्कि “दाग” साफ़ करते है… उसी प्रकार, हमारी “कमी” बताने वाले पर, “क्रोध” करने के बजाय, अपनी “कमी” को दूर करना “श्रेष्ठ” है…!! ऐसी ही मंगलकामनाओं के साथ, आपका दिन शुभ हो… सुप्रभात!

संभोग के शौकीन लोगों के लिए अमृत समान है।संभोग शक्ति के लिए एक वरदान - भांग पाक

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भांग पाक - संभोग शक्ति के लिए एक वरदान। 🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿 शुद्ध भांग 640 ग्राम , दूध 8 किलो ,चीनी 5 किलो ,घी 1 किलो । 👉No 2 इलायची ,लौंग, रूमी मस्तगी ,अकरकरा ,कौंच बीज चूर्ण, केसर ,दालचीनी, नागकेसर ,तेजपत्र, असली तवासीर, शतावर ,जयफल, असगंध, सफेद मूसली, विधारा बीज, पुनर्नवा,सिंबल मुसली, हरड़, बहेड़ा ,आंवला ,हल्दी, काली मिर्च, सफेद जीरा ,काला जीरा ,पिपली ,चंदन ,अगर ,कपूर, जावित्री और धनिया यह सभी दवाइयां 20-20 ग्राम । 👉No 3 अभ्रक भसम 1000 पुट्ठी ,लोह भसम 100 पुट्ठी ,वंग भसम, चांदी भसम, स्वर्ण भसम और कस्तूरी 20-20gm। आप इसे बिना स्वर्ण भसम और कस्तूरी के भी बना सकते हैं। परंतु उससे रिजल्ट  कम हो जाएंगे। 👉विधि घी को कड़ाही में डालकर मन्द आग  पर रखकर गरम कर लें। उसके बाद भांग को उसमें डालकर भून ले। उसके बाद उसमें दूध डालकर पाक  बना ले। पाक को अच्छे से भूलने उसके बाद कड़ाही को नीचे उतार कर , No2 वाली सारी दवाइयां का कपड़छान किया हुआ चूर्ण  , No3  वाली सारी भसम और पीसी हुई चीनी डालकर अच्छे से मिला ले । ठंडा होने के बाद किसी अच्छे कांच के बर्तन में डालकर रख ले। 👉मात्र

घोड़े जैसी ताकत देने वाला - अश्वगंधा (Withania Somnifera)

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# अश्वगंधा ( असगंध  ) - #Withania Somnifera घोड़े जैसी ताकत देने वाला अश्वगंधा को आयुर्वेद मे ब्रह्म औषधि कहां जाता है । ब्रम्ह औषधि है वह होती है जो शरीर में सात धातुओं को बढ़ाकर शरीर को तंदरुस्त बनाती है । इन ब्रहम अशुद्धियों के सेवन से रस धातु का संचार शरीर के रोम रोम तक पहुंच कर उनमें एक नई ऊर्जा भर देता है। अश्वगंधा जहां सरीर को तो तंदरुस्त रखती ही है वही वह हमारी संभोग शक्ति को भी बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान देती है । 👉 मात्रा :- अश्वगंधा चूर्ण 3 से 5 ग्राम गर्म दूध के साथ सेवन करना चाहिए। 👉 गुण :- 1.शरीरिक कमजोरी को दूर करती है। 2. मानसिक रोगों में भी बहुत अच्छे प्रणाम मिलते हैं। 3. बुढ़ापे को दूर करती है। 4. संभोग शक्ति को बहुत बढ़ा देती है। 5. वायु रोग और नाड़ी तंत्र के रोगों में भी बहुत अच्छा प्रणाम मिलते हैं। गर्म प्रकृति के लोग इसका इस्तेमाल ना करें या फिर किसी अच्छे आयुर्वेदिक वेद्य की निगरानी में इस्तेमाल करें। 👉 कुछ घरेलू प्रयोग :- 1. अश्वगंधा ,विदारीकंद ,इसबगोल का छिलका और मिश्री सभी को बराबर मात्रा में मिला ले उसके बाद किसी अच्छी कांच की शीशी में भरकर

भोजन करने संबंधी कुछ जरूरी नियम... अगर इनका पालन करोगे तो कभी भी बीमार नहीं पढ़ोगे।

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भोजन करने संबंधी कुछ जरूरी नियम... भोजन के करते वक्त भोजन के सात्विकता के अलावा अच्छी भावना और अच्छे वातावरण और आसन का बहुत महत्व माना गया है। यदि भोजन के सभी नियमों का पालन किया जाए तो व्यक्ति के जीवन में कभी भी किसी भी प्रकार का रोग और शोक नहीं होता। भोजन शुद्ध होना चाहिए, उससे भी शुद्ध जल होना चाहिए और सबसे शुद्ध वायु होना चाहिए। यदि यह तीनों शुद्ध है तो व्यक्ति कम से कम 100 वर्ष तो जिंदा रहेगा। आजो जानते हैं भोजन के कुछ खास नियम। 1.भोजन करने से पूर्व : 👉5 अंगों (2 हाथ, 2 पैर, मुख) को अच्छी तरह से धोकर ही भोजन करना चाहिए। 👉भोजन से पूर्व अन्नदेवता, अन्नपूर्णा माता की स्तुति करके उनका धन्यवाद देते हुए तथा 'सभी भूखों को भोजन प्राप्त हो', ईश्वर से ऐसी प्रार्थना करके भोजन करना चाहिए। 👉भोजन सभी के साथ करें। प्रयास यही रहना चाहिए की परिवार के सभी सदस्यों के साथ मिल बैठकर ही भोजन हो। नियम अनुसार अलग-अलग भोजन करने से परिवारिक सदस्यों में प्रेम और एकता कायम नहीं हो पाती। 2.भोजन समय:- 👉प्रातः और सायं ही भोजन का विधान है, क्योंकि पाचनक्रिया की जठराग्नि सूर्योदय से 2 घंटे बाद

कब्ज ,भूख ना लगना ,गैस और एसिडिटी के लिए रामबाण है - पंचसकार चूर्ण(Panchsakar Churna)

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# पंचसकार चूर्ण(Panchsakar Churna) 👉 सामग्री सौंफ , सनाय , सोंठ ,  सेंधा नमक  और  जंग हरड़ । सभी चीजें  20 - 20gm 👉 चूर्ण बनाने की विधि ऊपर दी गई पांचों चीजों को एक साथ कूटकर बारीक चूर्ण बना कर । किसी कांच के शीशी में डालकर रख लीजिए । 👉 मात्रा 2 - 2 ग्राम सुबह शाम ताजे पानी के साथ । 👉उपयोग कब्ज, सिर दर्द, बदहजमी,पेट गैस , पेट दर्द , एसिडिटी और पेट के हर प्रकार के रोगों के लिए यह योग रामबाण जैसा काम करता है । देखने में यह योग बहुत साधारण लगता है। परंतु इसका आपकी पाचन क्रिया पर अमृत जैसा असर पड़ता है । 👉लाभ इस योग के सेवन से आप भूख ना लगना,कब्जी ,एसिडिटी, पेट गैस, बदहजमी ,सर दर्द जैसी नामुराद बीमारियों से कुछ ही दिनों में छुटकारा पा सकते हैं । कब्ज ,भूख ना लगना ,गैस और एसिडिटी के लिए रामबाण है । कृपया इस्तेमाल करने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ले। धन्यवाद। डॉक्टर हरमिंदर जीत सिंह #drharminderjit

शीघ्रपतन और स्वपनदोष का रामबाण उपाय - धातु पौष्टिक चूर्ण

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# धातु पौष्टिक चूर्ण 👉 सामग्री अमला, जायफल, सालब, मिश्री छोटी ,इलायची ,लौंग ,कपूर, गोखरू ,केसर ,सिंबल मुसली ,सोंठ ,सौंफ  और  बंग भसम 10 -10 ग्राम सभी दवाइयों । 👉 विधि सब चीजों का बारीक चूर्ण कर लें उसके बंग भसम मिला कर किसी कांच की शीशी में भरकर रख लीजिए। 👉 मात्रा 3-3 ग्राम सुबह शाम गर्म दूध के साथ। 👉 उपयोग वीर्य का पतलापन और शीघ्रपतन की समस्या को जड़ से दूर करने के लिए यह एक उत्तम योग है।इस चूर्ण के इस्तेमाल से शरीर में बेजोड़ ताकत पैदा हो जाती है । स्वपनदोष जड़ से ठीक हो जाता है । जिन व्यक्तियों को धातु गिरने का रोग होता है उसने भी यह योग बहुत ही बढ़िया रिजल्ट देते हैं। लिकोरिया में भी इसका बहुत अच्छा परिणाम मिलते हैं। 👉 लाभ 1. स्वपनदोष को जड़ से ठीक कर देता है। 2. धातु गिरने वाले रोग में भी बहुत उपयोगी है। 3. वीर्य को गाढ़ा करके शीघ्र पतन की समस्या को ठीक करता है। 4. लिकोरिया की वजह से आई हुई कमजोरी को जड़ दूर कर देता। 5. हाथरसी करने की वजह से आई हुई कमजोरी को यह जड़ से दूर कर देता है। 6. हर तरह की शरीरिक कमजोरी को दूर कर के चेहरे पर कामदेव जैसी सुंदरता लेकर आता

आयुर्वेदिक मल्टीविटामिन - सितोपलादि चूर्ण(Sitopaladi Churna)

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# सितोपलादि चूर्ण(Sitopaladi Churna) 👉 सामग्री दालचीनी 10gm छोटी इलायची के बीज 20gm पिप्पली 40gm असली तवासीर 80gm मिश्री 160gm 👉 बनाने की विधि सभी चीजों को कूटकर बारीक चूर्ण बनाकर किसी अच्छी कांच की शीशी में भरकर रख लीजिए । 👉 मात्रा 2gm सुबह 2gm शाम को पानी या गर्म दूध के साथ । 👉 उपयोग ज्यादातर इस चूर्ण का इस्तेमाल खांसी जुकाम और दमे जैसे रोगों में किया जाता है मगर इस चूर्ण मे और भी बहुत से गंभीर रोगों से छुटकारा दिलाने के गुण है । इस चूर्ण के लगातार सेवन से शरीर तंदुरुस्त और ताकतवर बन जाता है । आयुर्वेद में यह एक बहुत ही उत्तम योग है । बाजार से मिलने वाले मल्टीविटामिन इसके गुणों के सामने कुछ भी नहीं । जो लोग अपनी सेहत का खास ख्याल रखते हैं और रोजाना मल्टीविटामिन का सेवन करते हैं वह कुछ दिनों तक इस चूर्ण का इस्तेमाल करें । उसके बाद आपको खुद फर्क पता चल जाएगा । 👉 लाभ ✔इस चूर्ण के सेवन से खांसी जुकाम जैसी बीमारियों से छुटकारा मिल जाता है। ✔इस चूर्ण के इस्तेमाल से भूख ना लगना छाती में जलन जैसी बीमारियों में भी बहुत अच्छे रिजल्ट मिलते है। ✔हर समय शरीर थका थका रहता हो काम

एसिडिटी, खटे डकार, कब्ज और उल्टी को ठीक करने के लिए रामबाण- अविपत्तिकर चूर्ण (Avipattikar Churna )

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# अविपत्तिकर चूर्ण (Avipattikar Churna ) 👉 सामग्री सोंठ,काली मिर्च,पिप्पली,हरड,बहेड़ा,आंवला,नागरमोथा वावडिंग,छोटी इलायची के बीज और तेज पत्र 2gm लौंग 20gm निसोत 80gm  मिश्री 120gm 👉 बनाने की विधि ऊपर दी गई सभी चीजों को अच्छे से कूटकर बारीक चूर्ण बना कर । किसी कांच के शीशी में डालकर रख लीजिए । 👉 मात्रा 2-2gm सुबह शाम पानी के साथ । 👉 उपयोग अविपत्तिकर चूर्ण अम्लपित्त के इलाज में उपयोगी है।  अविपत्तिकर चूर्ण कब्ज़ समस्या का सुधार करता है।  अविपत्तिकर चूर्ण गैस समस्या के उपचार में बहुत ही लाभकारी है।अविपत्तिकर चूर्ण पाचन छमता को बढ़ाता है । अविपत्तिकर चूर्ण मूत्र रोग, दर्द के साथ मूत्र का आना और किडनी में पथरी के लिए उपयोगी है।  अविपत्तिकर चूर्ण उल्टी, जलन, एसिड रिफ्लक्स की समस्या को दूर करता है। 👉 अविपत्तिकर चूर्ण के लाभ ✔अविपत्तिकर चूर्ण गैस की समस्या में बहुत ही लाभदायक है। ✔अविपत्तिकर चूर्ण गैस के कारण जलन, खट्टा ढकार, उलटी की समस्या से निजात दिलाता है। ✔अविपत्तिकर चूर्ण कब्ज़ समस्या को दूर कर पाचन शक्ति को बढ़ाता है। ✔अविपत्तिकर चूर्ण मूत्र रोग, दर्द के साथ मूत्र का आना